जखनियां : ...........जब भगवान श्रीकृष्ण को शरशैय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने कर दिया था असहज





जखनियां। स्थानीय कस्बा स्थित सीएचसी के हनुमान मंदिर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पहले दिन काशी के विद्वान बृजेश पांडेय ने बताया कि महाभारत में भीष्म पितामह के शरशैय्या पर लेटने वाली कथा का वाचन किया। कहा कि जब भीष्म पितामह बाणों से बिंध जाने के बाद शरशैय्या पर लेटकर प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार कर रहे थे, उस समय पांडवों संग भगवान कृष्ण उनके पास पहुंचे। जिस पर भीष्म पितामह ने कहा कि जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, तब तक आप मेरा इंतजार करें। क्योंकि आपने हमें अंतिम दर्शन देने के लिए बहुत ही इंतजार कराया है। इस बात को सुनकर श्रीकृष्ण थोड़े असहज हुए, क्योंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। ऐसे में श्रीकृष्ण ने पूछा कि हमें कब तक इंतजार करना पड़ेगा। तो श्रीकृष्ण की असहजता को महसूस कर पितामह ने आश्वस्त करते हुए कहा कि मैं बहुत इंतजार नहीं कराउंगा। लेकिन इतनी इच्छा है कि जब तक आप मेरे पास रहें, तब तक आप अपनी मुस्कान मुझे देते रहें। जिसके बाद श्रीकृष्ण मुस्कुराए और उनकी मुस्कान देखकर भीष्म पितामह के शरीर के सारे कष्ट दूर हो गए। इसके बाद भगवान को याद करते हुए उन्हांने इच्छामृत्यु का वरण करते हुए प्राण त्याग दिया। कथा के दौरान मनोज प्रजापति, व्यास राधे रमण बिहारी, राम प्रसाद, राजीव मौर्या, पीयूष पान्डे आदि रहे।



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