फाइलेरिया के मरीजों के लिए वरदान बन रहा प्रभावित अंग का बेहतर प्रबंधन, सभी को उपलब्ध कराए जा रहे हैं एमएमडीपी किट





गोरखपुर। फाइलेरिया, जिसे बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहते हैं और ये किसी को अगर एक बार हो जाए तो फिर कभी ठीक नहीं होता है। इसके कारण हुए हाथ और पांव के सूजन को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन अगर बेहतर प्रबन्धन किया जाए तो इस सूजन को नियंत्रित कर सकते हैं। ऐसा करके फाइलेरिया मरीज सामान्य जीवन जी रहे हैं और इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसएबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) किट देकर उनकी मदद कर रहा है। मरीजों को एमएमडीपी किट देने के साथ साथ प्रभावित अंग के प्रबन्धन और व्यायाम का तरीका भी सिखाया जाता है। गोरखपुर जिले में हाथीपांव के चिन्हित 2869 मरीजों में से 2153 मरीजों को 10 फरवरी तक यह किट वितरित की जा चुकी है। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि हाथीपांव के मरीजों को बताया जाता है कि उन्हें प्रभावित अंग को सामान्य पानी से धुलना है। हाथ में साबुन पानी का झाग बना कर धीरे धीरे लगाना है। अंग को रगड़ना नहीं है। फिर पानी से धुलने के बाद साफ तौलिये से थपकी देकर अंग को सुखाना है। अगर अंगुलियों के बीच कोई घाव बन जाता है तो उसके लिए एंटीफंगल क्रीम भी दी जाती है। साथ ही हाथीपांव के मरीज को पैरों के एडियों को दीवार के सहारे ऊपर उठा कर व्यायाम करने के बारे में बताया जाता है। इस तरीके से प्रभावित अंग की देखभाल करने से बीमारी बढ़ती नहीं है और सूजन में भी आराम मिलता है। ऐसा करने वाले मरीज फाइलेरिया के एक्यूट अटैक से भी सुरक्षित रहते हैं। एक्यूट अटैक की स्थिति में तेज बुखार और दर्द समेत मरीज को कई अन्य परेशानियां झेलनी पड़ती है। पिपराईच ब्लॉक के सरण्डा गांव के 60 वर्षीय संतराज पेशे से फेरी लगाते हैं। वह बताते हैं कि दो वर्ष पहले उनके बायें पैर में सूजन के साथ बुखार आया। पहले तो चौराहे की दवा ली और फिर चार महीने बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिपराईच गये। उन्हें फाइलेरिया का मरीज बता कर बुखार की दवा दी गयी। इसी बीच उनके गांव में लक्ष्मी सरण्डा फाइलेरिया समूह का गठन हो रहा था जिसके बारे में ब्लॉक से पता चला। जब संतराज समूह की बैठक में गये तो वहां सिखाया गया कि पैर की ठीक से देखभाल की जाए तो बुखार नहीं होगा और बीमारी भी नहीं बढ़ेगी। उन्हें एमएमडीपी किट दिया गया, जिसमें टब, बाल्टी, मग, तौलिया, साबुन और एंटी फंगल क्रीम थी। वह बाल्टी में पैर रख कर नियमित साफ सफाई करने लगे। व्यायाम भी शुरू कर दिया। उन्हें काफी आराम है और अब बुखार नहीं आता है। उनके अति बुजुर्ग पिता के दोनों पैरों में पहले से ही चौथे चरण का हाथीपांव था। उन्होंने अपने पिता को भी यही अभ्यास कराया। रात में सोते समय तकिया लगाते हैं। पैर ज्यादा देर लटका कर नहीं बैठते हैं। पिता के पैरों का भी सूजन कम हुआ है और दोनों लोग सामान्य जीवन जी पा रहे हैं। मंडल के एडी हेल्थ डॉ आईबी विश्वकर्मा ने कहा कि गोरखपुर मंडल के सभी जिलों में हाथीपांव के मरीज हैं। उनको एमएमडीपी किट देने के साथ साथ प्रभावित अंग के प्रबन्धन की भी जानकारी दी जा रही है। जून 2023 के आंकड़ों के मुताबिक कुशीनगर जनपद में 1315, देवरिया में 1636 और महराजगंज में 498 हाथीपांव के मरीज हैं। नये मरीजों को भी स्क्रीनिंग के जरिये ढूंढ कर प्रबन्धन सिखाया जा रहा है। गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जनपद में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्य नये मरीजों को ढूंढने और उन्हें जागरूक करने में भी निरंतर योगदान दे रहे हैं।



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