भदहां कलां में तालाब के किनारे 7वीं शताब्दी के भव्य मंदिर के मिले अवशेष व 1600 साल प्राचीन एकमुखी शिवलिंग, पुरातत्व विभाग ने किया सर्वेक्षण





कैथी/मौधा। चौबेपुर स्थित भदहां कलां गांव स्थित एक तालाब के पास करीब 1600 सालों पुराना दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग व तालाब में करीब 9 फीट के स्तंभ के साथ ही कुछ प्रतिमाएं मिली हैं। जिनके 7वीं शताब्दी के होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। उक्त प्रतिमाएं, शिवलिंग व स्तंभ के मिलने के बाद ग्रामीणों के अथक प्रयास के बाद पुरातत्व विभाग ने भी इसमें रूचि ली है और इसका निरीक्षण करके इसके बाबत अपनी आख्या भेज दी है और इसे संरक्षित करने में जुट गया है। उक्त प्रतिमाओं व शिवलिंग के इतने पुराने होने की बात का पता चलते ही गांव में हर्ष का माहौल है। लोग दूर दराज से वहां पूजा अर्चना करने के लिए आ रहे हैं। एक ही स्थान पर शिवलिंग, स्तंभ व देव प्रतिमाएं होने के चलते लोगों का मानना है कि पूर्व में वहां पर कोई भव्य मंदिर रहा होगा। ऐसे में यहां पर पर्यटन के लिए भी विकसित होने की संभावना जताई जा रही है। गांव स्थित एक तालाब के पास काफी प्राचीन अवशेष मिले। ग्रामीणों को काफी समय से पता था लेकिन इसमें पुरातत्व विभाग ने रूचि नहीं ली थी। जिसके बाद ग्रामीणों इस बात को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का अथक प्रयास किया और कई बार सूचनाएं दीं। आखिरकार ग्रामीणों का प्रयास रंग लाया और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की टीम डॉ. सुभाष चंद्र के नेतृत्व में मौके पर पहुंची और प्रतिमाओं का बारीक अध्ययन करके उसकी रिपोर्ट अधिकारियों को भेजी। बताया जा रहा है कि प्रतिमाएं 9वीं या 10वीं शताब्दी की हो सकती हैं और एकमुखी शिवलिंग करीब 1600 साल प्राचीन 7वीं शताब्दी की हो सकती हैं। एकमुखी शिवलिंग स्वयंभू है और ग्रामीण काफी समय से त्रिपुरारी महादेव के रूप में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। वहीं इसके 7वीं शताब्दी की होने की बात का पता चलते ही दूर दराज से लोग जुट रहे हैं और पूजा अर्चना कर रहे हैं। जिस तालाब के किनारे ये शिवलिंग व प्रतिमाएं मिली हैं, वो करीब 6 एकड़ से अधिक दायरे में फैला है और इसकी महत्ता देखते हुए ब्लॉक ने इसे अमृत सरोवर योजना के तहत सुंदरीकरण के लिए भी चुना है। लेकिन गांव के ही लोगों द्वारा तालाब के एक बड़े हिस्से में अतिक्रमण किया है, जिससे ये योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है।



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